* भारत में 'डाक्टर्स डे' डॉ0 विधान चन्द्र रॉय की याद में मनाया जाता है।
सरताज आलम
शोहरतगढ़़/सिद्धार्थनगर।
जच्चा बच्चा रोग विशेषज्ञ डा0 शादाब अहमद अन्सारी।
जनपद सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़़ तहसील अन्तर्गत डा0 अन्सारी क्लीनिक शोहरतगढ़़ जो वार्ड नं0-10 मां भारती नगर नगर पंचायत के जच्चा बच्चा रोग विशेषज्ञ डॉ0 शादाब अहमद अन्सारी जो स्व0 एच0आर अनसारी के बड़े पुत्र थे, ने बताया कि हर वर्ष 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (Doctor's Day) मनाया जाता है। यह दिन समर्पित होता है उन महान आत्माओं को, जो मानव जीवन की रक्षा के लिए निःस्वार्थ सेवा करते हैं, वे हमारे चिकित्सक हैं। चिकित्सक सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक सेवा है। जब कोई व्यक्ति रोग से पीड़ित होता है, तब सबसे पहले उसे चिकित्सक की याद आती है। चिकित्सक न केवल शरीर का उपचार करते हैं, बल्कि वे अपने व्यवहार, सहानुभूति और संवेदना से रोगी में आशा और जीवन की नई किरण भी जगाते हैं। चिकित्सक को धरती पर ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है। चाहे महामारी हो, प्राकृतिक आपदा या कोई आम बीमारी। चिकित्सक हमेशा आगे रहकर अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में चिकित्सकों ने जिस समर्पण और साहस का परिचय दिया, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता।
विलक्षण, महान चिकित्सक, शिक्षाविद् पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 डॉ0 विधान चन्द्र रॉय।भारत में यह दिन डॉ0 विधान चन्द्र रॉय की याद में मनाया जाता है, जो केवल मरीज का चेहरा देखकर बीमारी बता देते थे। आजाद भारत के इतिहास में एक विलक्षण क्षण वह भी था कि जब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बीमार पड़े थे। उनका इलाज करने के लिए एक राज्य के मुख्यमंत्री को दिल्ली बुलाया गया। वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री और चिकित्सक (डॉक्टर) विधान चन्द्र रॉय थे। उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का इलाज कारगर भी साबित हुआ। एक बार मेडिकल छात्र रहते उन्होंने एक ऑपरेशन को रोकते हुए वरिष्ठ सर्जन से कहा “अस्त्र शरीर के गलत हिस्से की ओर बढ़ रहा है।” पहले तो उनकी बात को हल्के में लिया गया। लेकिन जब सर्जरी असफल होने लगी, तब डॉ0 विधान चन्द्र राय की अन्तर्दृष्टि पर सर्जन स्वयं चकित रह गये। डॉ0 विधान चन्द्र राय ने महात्मा गांधी, रविन्द्रनाथ ठाकुर, पण्डित जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू और यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ0 केनेडी तक का इलाज किया। उन्होंने चिकित्सा सेवा को एक नया आयाम दिया और इस पेशे में नैतिकता व मानवता को सर्वोपरि रखा।1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना (बांकीपुर) में जन्मे इस विलक्षण महान चिकित्सक, शिक्षाविद् व्यक्ति ने 1948 से 1962 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहते हुए बंगाल के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया। अपनी साधना, समर्पण और सेवा के लिए उन्हें 1961 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। संयोग देखिए जिस दिन वे जन्मे, उसी दिन 1 जुलाई 1962 को 80 बर्ष में उनका निधन हुआ। तब से आज तक हर साल 1 जुलाई को ‘डॉक्टर्स डे’ मनाकर भारत उन्हें याद करता है। इस डॉक्टर्स डे पर हम सभी को चाहिए कि हम डॉक्टरों के प्रति अपने सम्मान और आभार को प्रकट करें। उनका योगदान अनमोल है। वे न केवल जीवन बचाते हैं, बल्कि हमें स्वस्थ समाज की ओर ले जाते हैं। चिकित्सक (डॉक्टर) केवल दवाइयां नहीं देते बल्कि वे हमें फिर से जीने की उम्मीद देते हैं। वे हर मुस्कुराहट के पीछे खड़े सच्चे नायक हैं। आइए इस डॉक्टर्स डे दिवस पर हम सभी चिकित्सकों (डॉक्टरों) को सलाम करें और उनके समर्पण को सम्मान दें।
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