राकेश दूबे सहसम्पादक
सिद्धार्थनगर। बढते तेल कीमतों का असर गरीबों के पेट पर पडा है।दाल तेल की महगाई से जूझ रहे लोगों को अब हरी सब्जियों का दाम असहनीय दंड दे रहा है।कोरोना के कारण काफी समय तक सुस्त पडे कारोबार से परेशान आम आदमी के लिए नई मुसीबत सामने आ गया है जिससे निपटने मे वो लाचार नजर आ रहा है।
वैसे भी जुलाई अगस्त महीने मे सब्जियों का दाम बढ जाता है परंतु इस बार जून के पहले सप्ताह मे हुए घनघोर बारिश ने बोए गए सब्जियों को मटियामेट कर दिया जिसका परिणाम सीधे तौर पर आम लोगो के पेट पर पडा है।स्थिति है भी हरी सब्जी 40 रूपये प्रति किलो से नीचे है ही नहीं है।सिर्फआलू के दाम की स्थिरता को छोड दिया जाए तो भिंडी 50 रुपये टिंडा 50 रूपये लौकी 40 रूपये परवल 60 रूपये,हरी मिर्च 80 रूपये बोंडा 80 रूपये करेला 50 रूपये,घेवडा 50 गोभी 100 रूपये टमाटर 40 रूपये किलो,सरपुतिया 60 रूपये,वोला(कान) 50 रूपये प्याज 30 अरूई 40 सहित अन्य सब्जियों का भाव आसमान छू रहा है।कुछ लोगों की माने तो डीजल और पेट्रोल की बढती कीमतों का असर भाडा पर हुआ है और सब्जियों का दाम बढ गया।सरकार द्वारा वित्त पोषित लोगों के लिए बढते दामों का कोई महत्व नहीं है परंतु बेरोजगार, निम्नवर्गीय किसान,ठेला चलाने वाले कामगार, मजदूरी पर जीवन यापन करने वालों लोगों पल सब्जी की महंगाई काफी भारी पड रहा है।दाल और सरसों के महंगे होते तेल से परेशान लोग भगवान के नाम पर सब छोड दे रहे हैं।सब्जी के कारोबारियों से बात करने पर कहा कि जब मंडी मे महंगा सब्जी मिल रहा है तो उसी के अनुपात मे दाम लगाकर बेंचना पड रहा है।उधर गांवों मे रहने वाले ग्रामीण अपनी आवश्यकतानुसार थोडा बहुत सब्जी की खेती कर लेते थे जिसका असर बाजार पर पडता था परन्तु इसबार जून मे हुई बारिश ने सब कुछ बिगड़ दिया है।कई दुकानों के आगे ग्राहकों को सब्जी का रेट पूछने के बाद बेबसी के आलम मे देखा गया है।कुछ कारोबारी की मानें तो सब्जी के दामों मे अभी और उछाल आने की संभावना बढ़ गई है।मंहगाई के आगे घुटनों के बल पर आ चुकी वर्तमान व्यवस्था से उम्मीद रखना व्यर्थ है।डुमरियागंज क्षेत्र के एक ग्राहक का कहना है कि अब क्या कहें।महंगाई तो बहुत है इसी मे जीना है।
No comments:
Post a Comment