राकेश दूबे सहसम्पादक
सिद्धार्थनगर।नेपाल से सटे सीमावर्ती जिले मे नवांगतुक पुलिस कप्तान ने अपना कमान संभाल लिया है।2013 बैच के आईपीएस यशवीर सिंह को राम अभिलाष त्रिपाठी के गैर जनपद मे स्थानांतरण होने के बाद पुलिस अधीक्षक बनाया गया है । मूल रूप से हरिद्वार के रायसी गांव के रहने वाले हैं उनकी शुरूआती शिक्षा रायसी गांव से ही हुई इसके बाद ग्रेजुएशन करने के लिए वे पंतनगर चले गए यहां से उन्होंने पशु विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। जिसके बाद वे अल्मोड़ा में पशु चिकित्सा अधिकारी बने, लेकिन यशवीर सिंह को पढ़ने का काफी शौक था पशु चिकित्सा अधिकारी बनने के बाद भी उन्होने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 2013 में उनका सिलेक्शन आईपीएस में हो गया।आईपीएस में सिलेक्शन होने के बाद वो ट्रेनिंग के दौरान सहारनपुर में अपर पुलिस अधीक्षक ट्रेनिंग रहे वही वह मुरादाबाद में एएसपी रहे। मुरादाबाद के बाद उनकी अगली जिम्मेदारी अलीगढ़ के पुलिस अधीक्षक देहात के रूप में हुई। अपने इस कार्यकाल के दौरान उन्होने काफी प्रशंसनीय काम किए अलीगढ़ के बाद सरकार ने उनको 5 अगस्त 2018 को गाजीपुर का पुलिस अधीक्षक बनाया था। गौर करने वाली बात है कि गाजीपुर अपराध और माफियाओं से भरा हुआ जिला माना जाता रहा है लेकिन जब से यशवीर सिंह ने अपने कार्यकाल में ना केवल अपराधों में कमी आई है बल्कि माफिया गिरोह भी जनपद छोड़ने को मजबूर हो गए हैंः प्रदेश सरकार ने 17 फरवरी को यशवीर सिंह का स्थान्तरण पुलिस अधीक्षक गाजीपुर से पुलिस अधीक्षक हापुड़ के लिए कर दिया और 2020 में जालौन और अब 2021 में यशवीर सिंह को सिद्धार्थनगर का बागडोर दिया गया है।उल्लेखनीय है अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती जिला होने के कारण यहां की हालात भी अलग है।विगत कुछ वर्षों मे पकडे गए नशीले पदार्थ चरस,कोकीन और हेरोइन ने लोगों को चौंकाया है।नेपाल से अवैध शराबों की बरामदगी हो या मानव तस्करी के अवैध कारोबारियों की अदृश्य नेटवर्किंग को तोडना एक चुनौती है।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद बढी आपसी रंजिश भी चरम पर है।तराई इलाका होने के कारण कच्ची शराब का बनना भी लगातार जारी है।हाल के दिनों मे विभाग द्वारा कई प्रशंशनीय कार्य किए गए हैं फिर भी कोरोना काल से उपजी परिस्थितियों के दरम्यान पुलिस और आम नागरिकों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की भी जिम्मेदारी नये कप्तान के कंधो पर है।
No comments:
Post a Comment